गोंडा। मनकापुर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत तामापार गांव की रहने वाली दो सगी बहनों ने आपस में हाथ बांधकर बिसुही नदी में कूदकर जान दे दी। पुलिस ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए भेजकर उनके जीजा अशोक कुमार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है। आरोपी की तलाश की जा रही है।
तामापार गांव निवासी सुरेश कुमार ने बताया कि उनकी बेटियां सुनीता (23) और पुनीता (17) सोमवार सुबह करीब पांच बजे यह कहकर घर से निकलीं थीं कि जीजा अशोक कुमार निवासी पचपुती जगतापुर कोल्हार गांव उन दोनों को प्रताड़ित करते हैं। वीडियो वायरल करने की धमकी देते हैं, इसलिए अब वह दोनों कभी नहीं मिलेंगी। इतना कहकर दोनों बहनें घर से करीब 500 मीटर दूर बिसुही नदी पर बने पुल की तरफ भागीं। सुरेश के मुताबिक वह दोनों के पीछे-पीछे गए। लेकिन जब तक वह पहुंच पाते, उससे पहले ही दोनों ने दुपट्टे से एक-दूसरे का हाथ आपस में बांधकर नदी में छलांग लगा दी। शोर मचाने पर उधर से गुजर रहे गांव के एक व्यक्ति ने यूपी 112 पर काॅल कर सूचना दी। पुलिस ने गोताखोरों की मदद से नदी से शव निकलवाए ।
रक्षाबंधन के दिन दो बहनों की आत्महत्या से प्रशासन भी सकते में आ गया। एसडीएम यशवंत राव, तहसीलदार सत्यपाल सिंह, राजस्व निरीक्षक राजकुमार पांडेय आदि तुरंत मौके पर पहुंचे। कोतवाल संतोष कुमार मिश्र ने बताया कि पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। मामले में सुनीता व पुनीता के बहनाेई अशोक कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
जीजा की हरकतों से परेशान दो बहनों के आत्महत्या करने से पूरे गांव में मातम पसरा रहा। त्योहार की खुशी के बजाय गांव के लोगों की आंखों में गम दिखा। आरोपी बहनोई की करतूत को लेकर गांव के लोगों में आक्रोश भी था। सुनीता व पुनीता के पिता सुरेश कुमार दहाड़े मारकर रो रहे थे। उनका कहना था कि दामाद अशोक कुमार निवासी पचपुती जगतापुर परिवार में अनावश्यक दखल देता था। बेटियों को गाली देता था। यह अलग बात है कि उनकी बड़ी बेटी शांति अपने पति के समर्थन में रही। शांति का कहना है कि पति अशोक उसकी बहनों को समझा रहा था। हालांकि शांति भी बहनों की मौत से दुखी है।
सुनीता और पुनीता अपने बहनोई की धमकी से आजिज आ गईं थीं। परिजनों की मानें तो अशोक दोनों बहनों की शादी न होने देने की धमकी दे रहा था। दोनों परेशान थीं कि किसी तरह पिता कहीं शादी तय करें तो जीजा बेइज्जती करके शादी में बाधा न बन जाए। इससे पिता के मान सम्मान को ठेस तो पहुंचेगी ही आर्थिक नुकसान भी होगा। यही सोचकर दोनों ने जान दे दी। मां शिवरता देवी कहती हैं कि सुनीता कक्षा आठ के बाद पढ़ाई नहीं कर रही थी, घरेलू काम में हाथ बंटाती थी। छोटी बेटी पुनीता बंशीधर इंटर कॉलेज में 12वीं की पढ़ाई कर रही थी, वह आगे पढ़ना चाहती थी। सुनीता व पुनीता के भाई शिवलाल व शिवाकांत बंगलूरू में मजदूरी करते हैं। इस बार पर्व पर दोनों भाई नहीं आ पाए थे। बहनों ने डाक से उन्हें राखी भेजी थी।